लेखनी कविता - महारथी - भवानीप्रसाद मिश्र

58 Part

28 times read

1 Liked

महारथी / भवानीप्रसाद मिश्र झूठ आज से नहीं अनन्त काल से रथ पर सवार है और सच चल रहा है पाँव-पाँव नदी पहाड़ काँटे और फूल और धूल और ऊबड़-खाबड़ रास्ते ...

Chapter

×